आभ अमूझी वादळी, घरां अमूझी नार।
धरां अमूझ्या धोरिया, परदेसां भरतार॥
भावार्थ:- आकाश में बादली अमूझ रही है, घरों में स्त्रियाँ अमूझ रही है, धरा पर टीले अमूझ रहे हैं और परदेशों में पति अमूझ रहे हैं।