रेत पर काव्य खंड

रेत सूं हेत मरुथळ वासियां

रै हिंयै में हरमेस रह्यौ है। अठै री प्रतिकूलता आं बासींदां री जीवण-राग है। अठै संकलित रचनावां में 'रेत रो हेत'आप सुधि पाठकां नै निजर आवैला।

काव्य खंड1

लू-लपटां

सरदार अली पडिहार