रेत पर ग़ज़ल

रेत सूं हेत मरुथळ वासियां

रै हिंयै में हरमेस रह्यौ है। अठै री प्रतिकूलता आं बासींदां री जीवण-राग है। अठै संकलित रचनावां में 'रेत रो हेत'आप सुधि पाठकां नै निजर आवैला।

ग़ज़ल1

वागडी ग़ज़ल

छत्रपाल शिवाजी