समझणहार सुजांण, नर मौसर चूकै नहीं

औसर रौ अवसांण, रहै घणा दिन राजिया

समझदार एवं विवेकशील व्यक्ति कभी हाथ लगे उचित अवसर को खोता नही, क्यो कि, हे राजिया! अवसर पर किया अहसान बहुत दिनों तक याद रहता है।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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