राखै जिणनै राम, मार सकै कुण मुलक में।
बैरी होय तमाम, चिंता नहिं कुछ, चकरिया॥
भावार्थ:- हे चकरिया, जिसे राम सुरक्षित रखें, उसे संसार में कौन मार सकता है? (अर्थात् कोई नहीं) । चाहे सभी शत्रु हो जावें, इसकी तनिक भी चिंता नहीं।