उद्दम करौ अनेक, अथवा अणउद्दम करौ।

होसी निहचै हेक, रांम करै सो राजिया॥

मनुष्य चाहे कितने ही उधम करे अथवा करे, किन्तु, हे राजिया! निश्चय ही होता वही है, जो ईश्वर करता है।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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