सुख में प्रीत सवाय, दुख में मुख टाळौ दियै।

जो की कहसी जाय, रांम कचेड़ी राजिया॥

जो लोग सुख में तो सवाई प्रीति दिखाते है किन्तु दुःख पड़ने पर मुँह छिपा लेते है, हे राजिया! वे ईश्वर की अदालत में जाकर क्या जवाब देंगे?

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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