पंड मै घणौ पियार, मिळतां मन हरखै मिळै।

वे हेतू लख वार, मिळजौ दिन में मोतिया॥

जिनके हृदय में अत्यंत प्रेम भरा हैं, और हमेशा प्रसन्नचित्त हो कर मिलते हो। हे मोतिया! ऐसे वे परम स्नेही दिन में बार-बार मिलें ऐसी मंगल कामना करते हैं।

स्रोत
  • पोथी : मोतिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : रायसिंह सांदू ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : श्री कृष्ण-रुक्मिणी प्रकाशन, जोधपुर
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