पढ़बो वेद पुरांण, सोरौ इण संसार में।

बातां तणौ बिनांण, रहस दुहेलौ राजिया॥

इस संसार में वेद-पुराण आदि शास्त्रों को पढना तो आसन है, किन्तु, हे राजिया! बात करने की विशिष्ट विधा का रहस्य सीखना-समझना बहुत कठिन है।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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