नशा जगत रा नीच, नशो सत्य हरि नाम रो।

कूड़ा फसै कीच, चतुर होय सो,चकरिया॥

हे चकरिया, संसार के समस्त नशे निकृष्ट हैं। मात्र हरि-नाम नशा ही सत्य है। जो चतुर होते हैं, वे अन्य झूठे नशों के कीचड़ में नहीं फँसते।

स्रोत
  • पोथी : चकरिये की चहक ,
  • सिरजक : साह मोहनराज ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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