अहळा जाय उपाय, आछोड़ी करणी अहर।

दुष्ट किणी ही दाय, राजी हुवै राजिया॥

दुष्ट व्यक्ति के साथ कितना ही अच्छा व्यवहार और उपकार क्यों किया जाए, वह निष्फल ही होगा। क्यों कि, हे राजिया ! ऐसे लोग किसी भी तरह प्रसन्न नही होते।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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