दुख री भली न दाख, सुख रा गुट्ठा सांतरा।
राम-चरण चित राख, चैन उड़ावो, चकरिया॥
भावार्थ:- हे चकरिया, दुख के समय (स्वादिष्ट) द्राक्षा (दाख) भी अच्छी नहीं लगती एवं सुख के समय साधारण पकी निंबौरी (गुट्ठा) भी अच्छी लगती है। (सुख-दुख की ऐसी मनःस्थिति तो भाग्याधीन है), अतः भगवान राम के श्रीचरणों में मन लगा और आनंद से रह (मौज उड़ा) ।