ग़ज़ल4 अवल आपाचार री आ नोटबंदी है। कूकता कुरळावता रै’जो भलां जन आज रा दियो जतरो पाण रा हकदार सगळा रैवणो घर में पड़ैला आ कदै जाणी बता?