कूकता कुरळावता रै’जो भलां जन आज रा

आपनै नीं मिल सकैला फायदा सुकाज रा

अै फिरै अड़ड़ावता मचकावता भल मलफता

पण कठै पूरा करै वादा कियोड़ै काज रा

तुरत करदै भीड़ भेळी गांव री इण जोस में

जद कदै मिल जाय मौका पांवणा व्है ताज रा

राग में एक राग भेळै अर उंढेळै हेत नै

काम रा नीं काज रा पण सुर मिलावै साज रा

पकड़ियां पद पलटणै रा पांवडा जाणै घणा

अर गिनर नीं करै अलबत आपरी आवाज रा

अडोळो दरख इणरै ढिग कियां बैठां भलां

नीं है इणरै पात डाळी फगत अै है गाज रा

अै है सूई आप डोरो गूदड़ी में फंसावण,

सुई बारै आय खेलै डाव किसड़ा राज रा

पांच वर रा पीर पक्का और नीं घरबार रा

बगत आवै बोट रा जद गीत गावै नाज रा

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली लोकचेतना री राजस्थानी तिमाही ,
  • सिरजक : वीरेन्द लखावत ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : मरुभूमि शोध संस्थान