ग़ज़ल4 कुंटा टुट्या पड्या है घर रा, कठै लगावां ताळा आज बहुवां नै ना भली लगै मिंदरां में बाज्या करता बै ढोल-मजीरा आज कठै रस्तो भूल्या म्हारै घर रो, पै’लां आवण वाळा लोग
रतनलाल दाधीच शान्ति शर्मा प्रवीण सुथार नीतू शर्मा कृष्णगोपाल शर्मा श्याम महर्षि अनुराग सुभाष पाटोदिया