

आं तिला में तेल कोनी
आंधा नै तो लाठी चाये
आंधी आई ही कोनी
आँख कान को च्यार आंगळ को फरक है
आंख्यां सैं आंधो, नांव नैणसुख
अगस्त ऊगा, मेह पूगा
एक चणो दो दाळ
एक पैंड चाली कोन्या’र बाबा
अक्कल बिना ऊँट उभाणा फिरै
अक्कल उधारी कोनी मिलै।
अणमांग्या मोती मिलै
अठे गुड़ गीलो कोनी अथवा इसो गुड़ गीलो कोनी
चक्कू खरबूजै पर पड़ै तो खरबूजै को नास
चालणी में दूद दूवै
चीकणैं घड़ै पर पानी की बूंद को ठहरै ना
छेली दूद तो देवै पण देवै मींगणी करकै
छूट्येड़ा तीर पाचा कोनी आवै
चिड़ा-चिड़ी की के लड़ाई
छोरो बगल में, ढूंढै जंगल में
चुस्सी को सिकार और ग्यारा तोप
ई की मा तो ई नै ही जायो
ईसानी बीसानी
ईसरो सो परमेसरो
एक ई बेल का तूमड़ा है
गधा नै घी कुण दे
गई बात नै जाण दे
गंया गयां गंगादास
गरीब को बेली राम
गरू को चोट
घाव तो बैरी को सराहिये
घड़ै कुम्हार, भरै संसार
घणा तीन-पांच आछी कोन्या
घणी सूधी छिपकली चुग-चुग जिनावर खाय
घर तो नागर बेल पड़ी
इब पछतायां के बणै जद चिड़िया चुग गई खेत।
इज्जत की लहजत ही और हुवै है
इमरत तो रत्ती ही चोखो
इन्नै पड़े तो कुवो
इसो ई हरि गुण गायो
जट खोस्यां किसा ऊंट मरै हैं
जठे देखै तवा परात, उठे नाचै सारी रात
जठे पड़ै मूसळ, उठे ही खेम कूस
जठे राणाजी बसै, बठै ही उदेपुर है
जठे रोजगार, उठे घर-बार
कबूतर नै कुवो ही दीखै
कदे नाव गाडी पर
कंगाल छैल गांव नै भारी
कपड़ा फाट गरीबी आई
कठे राम राम
खळ गुड़ एकै भाव