
रज्जब जी
बालपणै रो नाम रज्जब अली खाँ। परणीजण ने जावता समै दादूजी रै प्रभाव मे आय'र वैरागी बणिया अर उमर भर बींद वेश में रैया। रचनावां में राजस्थानी अर इस्लामिक साधनां रा शब्दां री अधिकता।
बालपणै रो नाम रज्जब अली खाँ। परणीजण ने जावता समै दादूजी रै प्रभाव मे आय'र वैरागी बणिया अर उमर भर बींद वेश में रैया। रचनावां में राजस्थानी अर इस्लामिक साधनां रा शब्दां री अधिकता।
अठार भार इक अगनि
भोडल दीप न दुरै
धर उर मैं रिधि रहत प्रगट
फक्कर जात खुदाइ
गहण बेद बैदंग रोग
हंस गहै निज खीर बनी
हेरि हिवांलै गलहिं
काफिर ईमा नाहिं जिमी
कनक तुला चढ़ि दानि
कंवळि सीप जळि जुदे
पंच अगिन तन सहै सीत
राहु केत ससि सूर
रैन द्योस नहिं दुरहिं दुरहिं
सारंग सुर सु बिनास
सूर तेज तम तार मोर
येक सु भूखौं मरहिं येक