बढ़ती लालसा भरम भाटा को आदमी छणीकस्यां दबी चीखाँ अर बरसतो पाणी घूघरा जै पद्मा जीबो जिन्दग्यानी को हाल करजो पाटणो कुण जाणै? मुखौटो ऊँघ भरी छ खेत क रीती-पाटी सबदां का तीर थापा-थूर तुणगल्यो अर बूंद