कविता6 कुरसी मिनखां नै खावै छै गयो निमटबा एक बार गैला मैं लोट पड़्यो पायो मैं गयो जीतबा नै चुणात मैं गयो पूछबा समञ्चार
ताड़केश्वर शर्मा राणुसिंह राजपुरोहित विश्वनाथ शर्मा विमलेश छोटूराम मीणा प्रेम शेखावत पंछी फारूक़ आफरीदी कैलाश मनहर कवियो जोगीदान