साधो भाई ऐसा मेरै गुरुजी का सरणा।
ब्रह्मानंद सरवर में झूल्या, नहीं जनम नहीं मरणा।
अनंतकोट जहां साध झूलै, प्रीत करै कर न्हावै।
सांयत सुख का चंदन चरचै, नहीं आवै नहीं जावै।
जहां मेरा सतगुर जहां मैं पासा, दूज रही नहीं काई।
उदत्त रूप मिल भयो अजोनी , भीम पारकी पाई।
पूरण ब्रह्म रह्या भरपूरा, ब्रह्मांड नहीं समाया।
मूलदास महाकास ब्रह्म कुं, घटाकास में पाया॥