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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
रामस्नेही सम्प्रदाय पर पद
दूहा
पद
चौपाई
कवित्त
छप्पय
कुण्डळियौ छंद
अरिल्ल छंद
निसाणीं छंद
पद
17
साधो ऐसी खेती करिये
संत दरियाव जी
मन वाणी अकल आणी बुधि वाणी तार
स्वामी देवादास जी
निसदिन तुम ही तुम कुं सिंवरूं
संत मूलदास जी
साधो भाई ऐसा मेरै गुरुजी का सरणा
संत मूलदास जी
साधो एक अचम्भा दीठा
संत दरियाव जी
जीव बटाउ रे बहतो भाई मारग माहिं
संत दरियाव जी
जाके उर उपजी नहिं भाई
संत दरियाव जी
धन धन रामचरण महाराज
सरूपां बाई
हे भईया मेरो मोहन संगड़ो न छाड़ै
संत मूलदास जी
साधो भाई देवल की छिब भारी
संत मूलदास जी
गोबिंद दरसण पल पल पाऊं
संत मूलदास जी
चौरासी में दुख घणौ
संत मूलदास जी
राम बिन भाव करम नहिं छूटै
संत दरियाव जी
सुख संपत मन जाय सरीरा
संत सेवगराम जी महाराज
ऐसे पलकन छांड्यौ
स्वामी देवादास जी
द्वार पधारै म्हारे संत गुरदेवा
संत मूलदास जी
साथणि म्हारी ये दरसण चावां स्वामी रूप का
सरूपां बाई