रैन गई अब आये नै बिहारी॥
त्रिकम तुहारे दरस बिन।
सुकत जाय सरीर।
पापी नैन सुकत नहीं।
भर-भर आवत नीर॥
कहनै गये आये नहीं।
मोहन लाल सुजान।
तुम बिन छिन-छिन पलक मैं।
मोय मारत कंद्रप बान॥
तखतराज मन भावने।
सुघर सलूने स्याम।
मोकुं छांड नै जाइये।
अब कुबरी के धाम॥