पिया स्याम सुंदर बिनु हारी॥
गोकल ढूँढ़ ब्रिंदावन ढूँढी।
आय मिलौ गिरधारी॥
सावन मास सुखद रुत आई।
बादर भये घनकारी॥
तखतराज खेलन घर आवो।
अब बाग भये हरियारी॥