मोय छाँड़ गये सजनवा॥

कुंज कुंज गन मधुप गुंजत गन।

खुले ललित बन बनवा॥

मास मधु मैं घर आवो।

मधु तलफ हिरदै न्हे तनवा॥

महाराज तखत कह पिया

अब घर आवो।

उचारूँ कोट अनगवा॥

स्रोत
  • पोथी : तखतराज पदावली ,
  • सिरजक : महाराजा तख्तसिंह ,
  • संपादक : डी.बी क्षीरसागर ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर 1992
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