ब्रह्मा च्यार वेद रो नायक,भूलां नै समझावै।
चित दै सुणै कृष्ण रौ मंगळ, भुगत मुगत फळ पावै।
मंगळ सुंण्या महासुख उपजै, मन इंछाफळ पावै।
काया कस्ट कदे नहिं व्यापै, जन पदमइयो गावै॥