बरी री आरी-तारी मांय

उळझ्योड़ो निताई

फूटरै कसीदै मांय सिणगारै

फाट्योड़ी-सी जूण आपरी...

पण सी नीं सकै

सांची जरी रा तार

बीं री जूण रा घाव!

बीं री लुगाई झुरै अजै तांई

एक सांतरी बाळूचरी धोती नै।

स्रोत
  • पोथी : अंतस दीठ ,
  • सिरजक : रचना शेखावत ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन,जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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