आज रात भोत सुहावणी-सी है

वायरियो बाजै

मुळकती-सी धरती

होय रैयी है खांगी-सी

पंखेरू नीं है अणमणा

दरखत जतावै आपरी खुसी

पानड़ा खिंडा-खिंडा’र

स्यात

थूं मुळकण लाग रैयी है....।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : सतीश छिम्पा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
जुड़्योड़ा विसै