तळाव गैरौ,

आवौ

न्हावां इण में

खळखोटा लेवां

करां भरोसौ पांणी रौ

घांणी रौ बळद

जिंयां आंख्यां पर बांध कूंपला

चकरी देवै

आपां थोड़ी ताळ लगावां

गिरणांफेरी

निरमळ जळ में

छळ री जिण क्यार्‌यां में खिलियौ

फूल इलम रौ

वीं नै नागण लैरां रै माथै धर

च्यारूं मेर तिरावां

जे थक ज्यावां तौ गळबांथी घाल

कांम-कामा नै सेवां

रूं-रूं में किरणां री आंच संवेट

लगावां डुबकी—

थाग तळी रौ लेवां

तळाव गैरौ

आवौ इण नै अपणायत देवां।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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