सत्त निसरगौ हौ चूंडै रौ,
लोप रही कुळ री मरजादा।
काट लागगौ तरवारां रै
लोयां रै बिन सस्तर सादा॥
औ मनड़ौ मिळ ग्यौ हाड़ी स्यूं,
चूंडौ सत नै बिसरायौ हौ।
तंत बायरौ बणगौ हौ बो।
रगत्त सींवाळौ आयौ हौ॥
हाड़ी रौं जीव अमूझै हौ,
धिक्कारै हौ खतर्यां रौ धरम।
कूंकर तौ रण रा रथ ढबग्या,
अर भूल्यौ कूंकर भूप करम॥
छाती रै ऊपर बोझ लियां,
कितरै दिनड़ां तक सेळ सहै।
करड़ी छाती नै सामी कर,
हाड़ी चूंडै स्यूं जाय कहै॥
दागौ लागेलौ कुळ माथै,
अर लाजै दूध मांवड़ी रौ।
धीजौ कूंकर करसी दुनिया,
भूपत्तियां री छांवड़ी रौ॥
ठरगौ है तातौ तेज रगत,
अर खीरा बुझिया नैणां रा।
किण बिध झेलै हौ बांकुरियौ,
अै सेळ जगत रै मैणां रा॥
मैहलां में किकर पौढ रिया,
बैठ्या है बैरी छाती पर।
क्युं दाग लगावौ प्राणनाथ,
थां कुळ बडकां री थाती पर॥
औ रणां चढ्योड़ा सायब जी,
जद रगत रँग्योड़ा आवै है।
छतराणी हूं मूं सांचौड़ी,
हिवड़ै नीं हरख समावै है॥
थां सत हीणां क्यूं बण बैठ्या,
क्यूं मूंवौ पड़गौ थारौ तँत।
सधवा नीं विधवा चोखी म्हैं,
पोरस हीणां है म्हारा कँत॥
थां छमा करावौ पीव म्हनै,
हूं सेळ सरीसा बैण कहूं।
आंसूड़ा ले हाड़ी बोली,
मूं मैणां कितरै दिनां सहूं॥
थां बखतर धारौ तरवारां,
अर रंग द्यौ रण री रेतां नै।
बाडौ थे जड़ अब बैरी री,
ज्यू करसौ सूड़ै खेतां नै॥
काया तौ धूजी चूंडै री,
बो साद सुण्या रणभेरी रा।
अबै रणां चढूंलौ हूं लडूं,
बाडूंलौ माथा बैरी रा॥
बैरी ऊपर कड़कातौ हौ,
बीजळ रै सिरसौ चूंडावत।
अर तेज पळकतौ उणियारै,
उतरतौ नैणां मांय रगत्त॥
बाडा तौ लेती ज्याती ही,
चूंडै री तीखी तरवारां।
अर रण में रोळौ घल ज्यातौ,
मच ज्याती दुस्मण री बारां॥
भीरू बणकर हूं बैठ्यौ हौ,
निज कुळ रै दाग लगावै हौ।
जस, माण घटै हौ दुनिया में,
अर जग सारौ बिसरावै हो॥
जे थांरा बैण नहीं सुणतौ,
हूं कायर कूड़ौ बाजै हौ।
अर जस रळ ज्यातौ माटी में,
औ खून बंस रौ लाजै हौ॥
हाथां में धारी तरवारां,
बखतर नै कसियौ चूंडावत।
मारग जोयौ जुध भूमी रौ,
औ आज बिचार् यौ है सत पत॥
ओळ्यूंडी आई हाड़ी री,
इण पायदान पग धरतां ही।
पलकां तौ भीजी आंख्यां री,
झट याद सहल नै करतां ही॥
आ घड़ी लगै अळखावणती,
अर काळजियै नै धड़काती।
किमकर तौ छोडूं राणी नै,
अब कियां लजाऊं हूं थाती॥
अै बैरी बढ़ता ज्यावै है,
म’न दूध पुकारै जरणी रौ।
औ हियौ हबोळा खावै है,
अर मोह न छूटै सजणी रौ॥
आ उथल-पुथल ले मनड़ै में,
बो मै'लां आयौ राणी रै।
बोल्यौ हूं लड़वा जाऊंलौ,
अब सँग थांरी सैनाणी रै॥
नांख्यौ राणी मन निसकारौ,
धप खीरा धुकिया हिवड़ै रा।
तन डील उठी तरनाटी सी,
सौ टूक खिंड्या इण जिवड़ै रा॥
आंख्यां बिसरायौ काजळियौ,
अर तेज चिळकतौ ज्यावै हो।
सुंदर भोळै से उणियारै,
अब नूर पळकतौ ज्यावै हौ॥
बज्जर कर कोमल हिवड़ै नै,
झट कड़क कटारी कर धारी।
निज कुळ री साख सांमवा नै,
आ बणगी भींव नवल नारी॥
साम्यौ हाड़ी निज तेजस नै,
अर कर समसीर धरी राणी।
काट्यौ माथौ खुद हाथां स्यूं,
चूंडै नै दिन्ही सैनाणी॥
म्हैं इतियासां रै मांय कदै,
न सुणी नहीं देखियोड़ी ही।
झट पौरस जाग्यौ चूंडै रौ,
आ सैनाणी इसियोड़ी ही॥
आ सैनाणी इसियोड़ी ही,
इतियासां में अगवाण सिरै।
इण जैड़ौ ना बलिदान कठै,
जे आखै इण रजथाण फिरै॥
आ सैनाणी इसियोड़ी ही,
जो जोईजै ना आखरियां।
आ धरती घण बड़भागी है,
ज'ठ जन्म्यां केई बांकुरिया॥
आ सैनाणी इसियौड़ी ही,
जिणरौ जग मांही मोल नहीं।
सरनाट उठ्यौ तन चूंडै रै,
मूंडै स्यूं निसरै बोल नहीं॥
ठप्प वेग ठम्यौ झट वायु रौ,
नदियां बैवतड़ी सी जमगी।
ऊडाण थमी नभ पांख्यां री,
अर अेक ठौड़ सिसटी थमगी॥
छतर् यां रौ फरज निभायौ हौ,
अैड़ी सांची ही छतराणी।
निज कुळ री आण बचावण नै,
माथा नै बाड दियौ राणी॥
जिणरी गाथा नै सुणतां ही,
औ रगत उफणतौ ज्यावै है।
आ बेटी इण रज्जथाण री,
हाड़ी नै सीस नमावै है॥