जीवन साथी सुरगां जावै

मोह भर्‌यो मोर्‌यो कुरळावै

आवै याद सुहाणो मौसम

जो बरबस हिवड़ा ने कळपावै

थनै विदाई देता गजबण

आँख्यां में सावण भर आवै

म्हूं थाने अरदास करूं री

रुक जाओ

क्यूं छोड़ो कुरळातो

मत जाओ देह छोड़ ने

पण जग व्यवस्था जग समझावै

तो हाथ जोड़ ने करूं विदाई

थे सुख सूं सुरगां जाज्यो

पण म्हारो ख्याल राख ने

सुपना में तो आज्यो

लो, अब थाने नहलावै

आँसूड़ा भर-भर आँख्यां छलकावै

नेह-नीर अर गंगा जल ले

थाने छैला स्नान करावां

बहू-बेट्यां करा रैयी सिणगार

मन सूं थानै सजावां

छोर्‌यां लाओ सब संसाधन

लाड लडाया जिण हाथां सूं

उणां में मेंहदी रचवा दो

माथा पे कुंकुम रो तिलक करो

सिंदूर सूं मांग सजा दो

थे पीळ्यो पहरा दो इणने

पाछै गाकर गीत विदा रा

थां मायड़ ने नमन करो

थरता सूं सुरगा जावै

रे मनड़ा थूं क्यूं कुरळावै

साथी थू तो सुरग पंथा में

म्हे अेकलड़ी पड़्यो

विछोह री विपदा में

पण थू जावै तो जा

म्हारी कांई औकात रोक लूं

सामै ऊभी मौतड़ली

सगा सनेही लाड पूतां संग

राम नाम सत गाता

कांधे थने ऊंचाऊं

थारो पथ मंगलमय हो जावै

थाने

अगोतर में सगला सुख मिल जावै

करम धरम श्रद्धा रा सुमन सजा

खिंवता तक संग चालूंगो

धरम-शास्त्र, पुराणां री पाबंदी ने

मन वचन करम सूं पालूंगो

म्हारी जोहज्यो बाट

दौड़तो म्हें भी इण पथ आऊंगो

जलम-जलम रो साथ आपणो

परबस हूं,

पण-

वायदो खूब निभाऊंगो

जद साथी थूं

सुरग सुखां ने भागेला

म्हारा आंसू सूं छिड़क आंगणो

विरहा मंच सजैला

थारी यादां रा बांध घूघरा

पीड़ा रा बाजा पे

नुवां-नुवा नित गीत रचैला

थारी सैनाण्यां लगा हिया रे

मनड़ो नूतन निरत करैला

जठै-जठै थारा पगल्यां रा

लाधैला सैनाण म्हनै

उठै-उठै

पूजन रा अे थाळ सजैला

यूं विरह यज्ञ में

तिल-तिल करता हवन देह रो

ये पग थारी राह बधैला

स्रोत
  • पोथी : दरद डूँगरा : दरद समँदरा ,
  • सिरजक : नन्दकिशोर चतुर्वेदी ,
  • प्रकाशक : ज्ञान प्रकाशन मंदिर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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