कठै तो मांड्या चिड़ी रे चरकला,

कठै नाचणियां मोर, मांडर्‌यो मांडणा।

धरती रो रंगरेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

रंग बेंगणी-नीला-पीळा, लाल-गुलाबी सुर्ख सुरीला,

केसर-कंकू कोर, मांडर्‌यो मांडणा।

धरती रो रंगरेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

फूल पातरी कतरण न्यारी, साख-साख किण भांत संवारी।

अर रुपाळी गणगोर, मांडर्‌यो मांडणा।

धरती रो रंगरेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

सूरज-चांदलियो-तारा, चमकै काग्या ज्यूं चिणगारा।

सांझ-दफेरा-भोर, मांडर्‌यो मांडणा।

बादळ दिया दहेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

मांड बादळी तितरवरणी, चितकबरी वा चितल हरणी।

कठेक ढांडा-ढोर, मांडर्‌यो मांडणा।

हळका कठै'क तेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

रंग-रंग रा मिनख मानवी, कोई देवता कोई दानवी।

समझूं संख-ढपोर, मांडर्‌यो मांडणा।

हिन्दु-मुसलमां-अंगरेज, मांडर्‌यो मांडणा॥

स्रोत
  • पोथी : आखर मंडिया मांडणा ,
  • सिरजक : फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै