उण कद देखियौ

सूरज रौ डूबणौ

अर ऊगणौ चांद रौ

भूख गैळीजियौ वौ

तड़फा तोड़ै

अठी-उठी पचै

अर बावड़-बावड़' माथौ फोड़ै

खावणी चावै सेवट कुत्ती

आपरा जायां नै....

फूलती नसां

खींचण ढूकै

रगत काळजै रौ

अर उणरी आंख्यां में

खुद रा टींगर?

नीं-नीं

उफस-उफस आवती रोट्यां व्है!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : अर्जुन देव चारण ,
  • संपादक : तेज सिंघ जोधा
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