उमादे - अेक

जूण री बारखड़ी में
आखरा रौ घणौ महत् नी है उमादे,
महताऊ हावै वरण
जकां रै पांण
आ स्रिस्टी धारण करै
सबदां रौ चोळौ
अर सबदां रै हिस्सै आवै
लघुता कै गुरुता।
वा मात्रा ई तौ होवै उमादे
जकी
ना'र नै नार बणाय
खोस लेवै उणरा नख अर दांत।
पण उण में ई
सैं सूं महताऊ होवै
वा आधी मात्रा
जकी सगळा आखरां रा
अरथ बदळ देवै
अर वांरै पांण
बदळ जावै
अपांरी जूण रा अरथ।

थूं
सगळा वरणां नै
आपरै कब्जै राखण री
आफळ में जीवी जूण
पण बा आधी मात्रा
हमेस

थारी पकड़ सूं
काळै कोसां ऊभ
हंसती रैई।
'पीव' अर 'प्रीत' में
फगत
आधी मात्रा रौ इज
फरक होवै उमादे
छन्द तौ
इण आधी मात्रा नै
बोलन्ता
नकार ई देवै
मानण सूं नट जावै
उणरौ अस्तित्व ई,
पण
मिनख री जीया जूण में
आ नाकुछ आधी मात्रा
मणां बन्ध भार लियां
बैठी रैवै।
मोटा मोटा गढ़पतियां रा
माजना
असखेल में उतार जावै
आ 'नाकुछ' आधी मात्रा।

रीस अर रूस रौ
वजन तौ बराबर ई होवै
मात्रावां ई होवै अेक सरीखी
लघु-गुरू-लघु
तौ पछै
क्यूं होवै इत्तौ फरक?

रीस
मिनख नै हमेसा
लघु सूं बत्तौ लघु बणाय
ऊभी रैवै अेकली,
रूसणै रै साथै
हमेसा ऊभी दीसै
मनवार / लुक मीचणी रौ खेल खेलती
झुकण नै आखड़ती
करती खुद रै इज
मांन रौ मरदन
आ आधी मात्रा
अपांरी जीया जूण नै
पाछी ‘सम’ माथै लेय आवै।
अर अपांरी जूण
सातूं रंगां नै
पकड़ण री
आफळ करती दीखै।

रीस तौ
फगत अेक रंग ई जांणै
दूजां नै
आपरै पगां झुकाय
होवणी चावै राजी,
आपरै मोटा होवण रौ
गुमेजण पाळतौ
औ लाल रंग
कद गैरौ होय
बण जावै किरमचियौ
अर सेवट
काळस रै पल्लै बंध
होय जावै अलोप।
पछै अैड़ी आंखियां
थूं थारै चै’रै
क्यूं चेपली?

झुकण रौ अरथ
हारणौ नी होवै उमादै।
इण आधी मात्रा सांम्ही
समरपण
अपांनै
आखी दुनिया रौ
राज सूंप जावै।
भारमली थारी भायली
जाणती ही आ बात
उण कनै हौ
इण आधी मात्रा रौ
लूंठौ खजानौ।
थारै ई तौ
साथै रैवती ही वा?
तौ पछै क्यूं हौ
इत्तौ फरक?
वा
प्रीत नगर री
धजा बंध अमीर
अर थूं?
थूं फगत
अेक मोती री
आस पाळियां जीवती रैई
जिण री आब
बगत रै चकरियै चढियां
उतरणी ई ही।

थारै पल्लै तौ
प्रीत रै खजानै रौ
तूस ई नी आयौ उणादे,
राणी रौ मोद
थनै आखी उमर
प्रीत रै पागौतियां
चढण ई नीं दियौ।

मोटौ होवण सारूं
लघुता रौ भेद जांणणौ
जरूरी होवै जूण में,
जकौ
लघु होवण री
कला जांण लैवै
वो इण
होय सकै विराट पण जद अपां
दो लघुवां बिच्चै बैठै ‘गुरू’ नै
दे देवां बत्तौ मांन
तौ औ ‘गुरू’
अपांनै ‘लघु’ सूं ई
लघुतर कर निकळ जावै।
इतियास
केई बार
इणी तरै सूं
ठठ्ठौ करिया करै
मांनखै सूं।
आवण वाळी पीढियां
जद इण ठठ्ठै रौ
भेद जांण लेवै
तद ई आखरां रै बजार में
वा ढाई आखरां रौ
मोल कूंत सकै।
समरपण
तौ
बराबर रौ अरपण है
दोनूं पखां रौ,
इण सांरू
दोनूं ई पख
आणंद रै भाव
झुकियोड़ा दीखै,
थूं इत्ती तणगी
कै झुकणौ भूलगी उमादे।
आपरै छेहलै बगत
थारै सांम्ही खुलियौ
इण आधी मात्रा रौ
अरथ,
लुगायां
आपरै धणी सूं
मती करजौ लम्बौ रूसणौ
चिता चढण सूं पैला
अै इज हा
थारा छेहला बोल
औ हौ
थारी आखी जूण रौ
निचोड़।
कै थनै दीखता हा
आगला सात भव
अर थूं
चेताय जावणौ चावती
आवण वाळी पीढियां नै।
थूं
उधाड़ दियौ
दुनिया री आधी आबादी सांम्ही
झूठ रै करड़ै कपाटां बन्द
साच रौ
अबोट उणियारौ,
कै आ आधी मात्रा इज
दुनिया री
पूरी आबादी रौ
मांन बधावैला।

उमादे – दो

कांई प्रीत रसीजियोड़ी देह
होय जावै अबोली?
तौ पछै
औ रस
रूस में
अर रूस रीस में
क्यूं अर कीकर बदळ जावै,
थनै जांणतां
जांणणी चावूं उणादे।

प्रीत री जबान
कीकर जड़ जावै ताळा
कै फगत रूसणौ दीखै
दीखै रीस
पण ठेठ आंतरै
चापळियोडी प्रीत
दुनिया नै क्यूं कोनी दीखै।
कांई हर बार
यूं ई
प्रीत नै परगटावण
चेतन करणी पड़ैला
अगन,
झाळा रौ रंग तौ
प्रीत रै रंग सूं
घणौ न्यारौ होवै उमादै
तौ पछै
खुद नै ओळखावण
थूं
औ रंग क्यूं अंगेजियौ?
जुगौ जुग
आवण वाळी पीढियां नै
सुवावण सांरू अेक कथा?
स्यात् पीढियां
उणनै ई
इणी मिस
प्रीत-कथा कैय ओळखलै?
छळ
फगत छळ है थारी जूण उमादे,
बाप रौ
धणी रौ
बायली रौ
अर खोळै लियोड़ै
किणी दूजै रे जायै रौ।
प्रीत नै अंगेज
ऊभण री जिद
अर अैड़ी करड़ी सजा?

थूं कितरी बार मरी
उण अेक जलम में
बचाया राखण
आपरी प्रीत नै अबोट,
तौ पछै
छळ रचावण वाळी
इण दुनिया में
थूं प्रीत रचावण रा सपना
क्यूं देखिया?

प्रीत कठै होवै
सम्बन्धां रै वां तांतां बिच्चै?
कीकर पूगै वा
आपरै उण दूजै सरूप तांई?
उण तांत नै
आपरै आंतरै
उगावण री आफळ करणियौ
हर बार
क्यूं मरै बेमौत?
कांई प्रीत यूं ई पसरिया करै
अेक डील सूं
दूजै डील तांई?
वो परस
निवायौ होवै कै बळबळतौ?
या होवै
हेम सूं बत्तौ ठाडौ?
इण ठाडक नै
चेतावण रौ जतन करती जूण
प्रीत री अगन सूं
आखी स्रिस्टी नै
सैंचन्नण करण रा
सपना देखै।

पछै औ क्यूं होयौ
क्यूं वा ठाडक बैठगी
थारै होठां
क्यूं उण पकड़ लियौ
थारौ गळौ
क्यूं उतरगी ठेठ ऊंडी
थारै आंतरै,
अबै औ म्यानौ
कुण दवैला?
भारमली?
कै मालदेव?
कै पूछूं उण दीवै सूं
जिणनै
पग री ठोकर सूं बुझाय
थूं पाछी बावड़गी ही।
उण ठोकर री धमक
औ जग
आज दिन तांई
सुणै है उमादे।

थूं किणरी जूण में
करियौ हौ अंधारौ?
मालदेव रा म्हैल तौ
उण रै पछै ई
हमेसा रैया
सैंचन्नण,
सैंचन्नण ई रैई
भारमली,
बिना किणी कांकण डोरै
बिना चंवरी-फेरां रै
वा राज करण बैठी ही
गढ जोधांण,
अर थूं
कीरवा री कांकड़ अभी
पंपोळती रैई आपरौ मांन।
घर तौ थारौ हौ उमादे
पण उण अेक ठोकर रै पांण
बिखरगियौ वो घर।
उण रात
कपाट रंग म्हैल रा
थूं जड़िया हा
पण
थारै भाग रै कपाटां
हमेसा रै वास्तै
लाग गिया ताळा,
जिणरी कूचियाँ
कांई ठा किण अबूझ बेरै
ले जायनै न्हांकगी वा रात
जकी थारी बैरण बण
आई ही उण रात।

कीखा री कांकड़ सूं
जोधपुर घणौ आगौ हौ उमादे
पण वो हमेस
थारी अपणायत
थारै भरोसै नै
ठोकरां मारतौ
करतौ रैवतौ लोईझांण।

थूं जद ई
याद करती वा रात
थारी रीस में
जांणै छमकौ लागतौ
अर अबोळैपण री
वा गुळगांठ
बती काठी होय जावती।
कीरवा रै कांठै ई तौ बैठौ हौ
चारभुजाधारी
प्रीत नै मांन देवणियौ,
राधा रौ, मीरां रौ
अर लाखूं लाख अनाथां रौ नाथ
तौ पछै थनै
वो याद क्यूं नीं आयौ उमादे?
थारी याद में
फगत मालदेव बसतौ हौ,
थूं उणनै
जित्तौ आप सूं
आगौ करियौ
वो उत्तौ ई बत्तौ
थारै काळजै नै
बींधतौ गियौ।
प्रीत में
मांन अपमान कठै होवै उमादे?
जे होवै मांन
तौ पछै कठै रैवै प्रीत?
प्रीत रै पागोतियां चढण री
पैली सरत है
मान नै झेकणौ,
कदेई पूछ राधा सूं
मीरां सूं
आभल नै पूछ लेवती
पूछती नागवंती नै
सूता खूंटी तांण बतळाया बोलौ नहीं।
कदेक पड़सी काम, नौरा करसौ नागजी॥

प्रीत कनै तौ
फगत मन होवै
आंखिया कठै होवै?
वो तौ हमेस जीवै
कबन्ध जूण
स्यात् इणी सांरू
वा आंधी बाजै।
थारी जूण री साध
साधणौ चावती
प्रीत रै पुहुप री
अबोट सुवास
पण थारै पल्लै
पाइयां री भारी
कुण घाली?
भारमली नी होवती
तौ कोई दूजी होवती,
थारी जूण में
दूजी रौ जोग
आखी जूण बणियोड़ौ रैवतौ।

आपरी रीस
थूं भूलगी
कै थूं ई तौ भेजी ही उणनै
बिलमावण आपरै धणी नै,
अेक दासी
कीकर बिलमावै राजा नै?

राणियां रौ मांन
आ बात
कांई जांणतौ नीं हौ?
कांई थूं कदेई जांणी
भारमली री पीड़?

आपरी पीड़ रौ भाखर
मोटौ करती रैई थूं
अर दोस सगळौ
भारमली रै पल्लै घाल दियौ।

थे दोनूं छळीजिया हा
आप आप री ठौड़
थां दोनां नै
लड़णी ही लड़ाई
साझी
बचावण सांरू आपरौ आपौ
आपरी ओळखांण।
स्यात् इण सूं
बच जावतौ
थारौ अर उणरौ
दोनां रौ मांन
अर उण मांन रै खूंटै
थूं बांध देवती
भोग रै कादै कळीजियां ऊभै
उण जीव नै
जिणनै झूठौ ई
गयन्द बणाय
ऊभाय गियौ हौ
आसानन्द
थारै जोड़ै।
“मान रखै तौ पीव तज, पीव रखै तज मान।
दो दो गयन्द न बंधसी हेकण कम्बू ठांण”।
झूठौ हौ कवि
पीव अर मांन
दोनां नै हमेसा चाइजै
अेक बागौ
जिणरै पेटै वे धारण करै
आपरौ सरूप
बाप-भाई-धणी
आंरै कनै होवै
फगत आपरै पगां झुकावण रौ आदेस
आंरै हाथां में होवै
कायदां री लीली कांब
पण
प्रीत कोई कायदौ नीं मानै उमादे।
सड़ाक-सड़ाक सड़ाक रा सरड़ाटा
पड़ता रैवे मोरां माथै
वा जमियोड़ी लील
वां कुरबधारियां रौ जस बखांणै
थूं उठै
मांन राखण री जिद क्यूं करी?
स्रोत
  • पोथी : अगनसिनांन ,
  • सिरजक : अर्जुन देव चारण ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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