उल्थो

होवणो चाईजै

मिनख रै चरित रो

सिंधू में सरित रो

अर

बंजड़ सूं हरित रो

उल्थो जरूरी है,

बगतसर।

उल्थो होवणो चाईजै

संघ में सत्ता रो

रूंखा में पत्ता रो

अर

दिल्ली में कळकत्ता रो

उल्थो जरूरी है,

बगतसर।

उल्थो

होवणो चाईजै

साहित रो दूजी भासा में

निरासा रो आस में

अर

ऊनाळा रो चौमासा में

उल्थो जरूरी है,

बगतसर।

उल्थो

होवणो चाईजै

दुसमणां रो मीत में

मनमुटाव रो प्रीत में

अर

हारी बाजी रो जीत में

उल्थो जरूरी है,

बगतसर।

स्रोत
  • पोथी : भींत भरोसै री ,
  • सिरजक : सत्येंद्र चारण ,
  • प्रकाशक : वेरा प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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