काल परस्यूं
दीवाळी खड़ी
अर
आबा हाळी है
थोड़ा दन पाछै
होळी
पण
उकै तो
आज ई है
सब सूं बड़ो त्यूंहार
क्यूंकै
आज ही मळी छै
वूं नै
दन में दो बगत रोटी।
स्रोत
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पोथी : मंडाण
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सिरजक : राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'
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संपादक : नीरज दइया
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प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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- संस्करण : Prtham