म्हारी उमर
इतरी लांबी कोनी कै
बा सदियां तांई
थारी बाट जोवण मांय ई
निसर जावै
म्हारी चावणा।
इतरी निबळी कोनी कै
बा थारै मून रै आगै
डरती-डरती दूर होय जावै
थारै प्रेम रो सुख
इतरो हळको कोनी
कै बो गुलाब रै फूल जैड़ो
सिंझ्या तांई बासी हो जावै।
म्हारी कवितावां मांय
थारो रैवणो
सबदां री लिखाई तांई
आ कोनी है कै
भावां रै उफाण रै सागै
कठैई उड जावैला
साव साची बात तो आ ईज है कै
थे अर म्हैं
अेक पोथी रा ई पाठ हां दो
जिकै नै आगै सूं आगै पढण री
संभावना सरू होवै।