सब्जी वाळी रै ओडै

छेहला में

टटोळता आपरा खुंजा

‘छुट्टा कोनी’ कैय नै

फोगट में हरा-धांणा लेय

पूग जावां घर

जूंण में छोटी-मोटी चालां रै आसरै

अपां जीत आवां

कांईं-कांईं

सावळ धोयां

धांणां रा पांन

हार-जीत सूं लुकाय

राख लैवै थोड़ी किरकिर

पछै जद अपां अेकला

खुद रै सागै व्हां

तद अेकांयत री आरसी कैवै

जे अपां खुदोखुद सागै नीं

तो पछै छळ किणसूं करां?

इणीज कसौटी माथै

अपां कसतोड़ा आपरी प्रीत

छोटी-मोटी चालां सूं बच निकळां

अर चलावां

सगळौ कांम अठै-वठै

पूरी दुनिया में

पण कांई इण गत अपां प्रीत सूं

साचांणी बच जावां कांईं?

इणरौ निवेड़ौ करै

धांणां रा पांन री गळाई

ओळूं री किरकिर

जिकी आवगी उमर आंख में खटकै

पछै अपां छळ किणसूं करां

जे खुदोखुद सागै नीं, तौ

स्रोत
  • पोथी : हिरणा! मूंन साध वन चरणा ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकास देवल ,
  • प्रकाशक : कवि प्रकासण, बीकानेर
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