आ म्हारी ज़िंदगानी है—
ऊजळी रेत
बैवती बणगटां सूं आंक्योड़ी
पून नै समरपित...
आ म्हारी वांणी है—
खाली संख
ध्वनी री प्रतिध्वनी
आपरै ई रुदन सूं पूरण...
आ म्हारी पीड़ है—
टूटोड़ी सीप
आपरै दुख रौ बगत काटती...
आ म्हारी परंपरा है—
अेकलौ संमदर
जिणरै अैक पासै हेत
दूजै पास है भुलाव।