म्हारी ज़िंदगानी है—

ऊजळी रेत

बैवती बणगटां सूं आंक्योड़ी

पून नै समरपित...

म्हारी वांणी है—

खाली संख

ध्वनी री प्रतिध्वनी

आपरै रुदन सूं पूरण...

म्हारी पीड़ है—

टूटोड़ी सीप

आपरै दुख रौ बगत काटती...

म्हारी परंपरा है—

अेकलौ संमदर

जिणरै अैक पासै हेत

दूजै पास है भुलाव।

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : सेसिलिया मीरेल्स ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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