थारी याद री
आंसूड़ा भरी बादळी
म्हारै जीवण-आभै
छाई ही-
उण री बून्द-बून्द सूं
हूँ म्हारी
कविता रचाई ही!
उण में थारी
टीस ही-दुख हो-तड़प ही
आंसू हा, अगन ही-तिरस ही,
उण में थारी
मुळक ही-हुळस ही
मिठास हो-मैन्दी ही-
उण में
म्हारो कीं नीं हो
जो हो सो थारो हो
थारी याद-
थारी आग
थारी जाग
थारी राग
बस
कविता जलमगी।