(एम बालामुरलीकृष्ण नैं सुणती वेळा)

बै गावै—

मधरो-मधरो राग

नीं आवै समझ

असेंधी भासा रा सबद।

जगावै म्रिगतिसणा।

तर तर बसै सौरम।

सबद नीं—

सबद रै मांय बस्योड़ा

सबदां सूं हुवै उजास।

स्रोत
  • पोथी : दीठ रै पार ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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