आखै दिन री
गिंगरथ
अर मन री कथ नै
रात रै अंधारै मांय
बोऊं सुपनां
अर जोऊं
सुपनां मांय
गांव गिंगरथ री
मांदी-धुंधळी बातां।
सुपनो-सुपनो ई हुवै
सांच रै आंच नीं
लगा सकै सुपनो
नींद, सुपनो अर चेतो
तीनूं न्यारा-न्यारा चितराम है
जिंदगाणी रै दीठाव रा।
नींद मांय
बीझोक पालतै सुपनै सूं
डाफा-चूक हुयोडा
मिनख चिंतन करै
सुपनो-सुपनो ई हुवै
चायै बो सुख रो हुवै
अर चायै हुवै बो
माड़ौ-साव माड़ौ।