सूरज

आभै रै नीलै गुवाड़

बेगार करतो-करतो

जणा पूगै

उगण सूं आथूण।

चांद-

आपरै पीळै पड़्योड़ै चै’रै माथै

एटम बम्बां रो भय ओढ्यां

करै उगण री त्यारी;

तारा री आंख्यां मांय

रड़कै है

‘ओजोन’ री छात सूं

छण’र आयोड़ा कांकरा।

रात

काळी पड़ण ढूकै

मिनख री लाम्बी होवती छायां सूं।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : त्रिभुवन ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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