जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै

नैणां सूं झरतौ नीर समंदर बण जावै

पण-

बित्योड़ां बे दिन

पाछा कद आवै

सोच सोच हियो कुरळावै

जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

हाथां री वां सुरंगी मेहंदी

अंतस में सौरम महकावै

हाथी दांत रौ वौ धवळौ

पतळोड़ी चीर आळौ

ढाळ उतार मूठियौ

पुणचा अर हथफूल रौ सिणगार

बाजूबंद री लूंबा रौ सिणगार

सुहागण रै हाथां री ओप बतावै

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

माथै री वा मैमद टीकी

वा लड़ियां हंदी रखड़ी

टाळ में भरियोड़ौ दो चिमटी हिंगळू

वे सुरंगा केसरिया कसूंबळ रंग

नैणां सूं बरस जावै

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

लकदक गैणां सूं सज्योड़ी वा गिणगौर

छाती हंदी वा आड वो तिमणियौ

गळै रा चीड़ां में पिरोयोड़ा मादळिया अर टेवटियौ

आज कंठ नै घोंटावै

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

बाजतड़ी पायल री झणकार

कड़लै री खणखणाट

रिमझोळो री छणछणाट

हरियल कांच री चूड़ियां री खणकार

वो सज धज नै सोळै सिणगार

निरखता कमधजिय भरतार

ऊंड़े काळजै में अेक टीस छोड जावै

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

याद घणा वे दिन आवै

परणियै सागै जद आई इण घर में

बण नै अमर सुहागण

हेत सनेव री नदियां में

हबोळा लीना हा

रंग कसूंमल ओढ इतराई म्हैं

सुरंगा पैरिया हा वेस कदैई

आज वे कसूंबळ तरसावै है

सुहागण रौ वो सिणगार

छिण छिण अंतस नै तड़पावै है

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

पण-

वै नैण रैया नीं जद

भौंवां रौ कैड़ौ सुवारथ

हर पल इज बात सतावै

जद जद हिवड़ै में

ओळूं री बदळी छावै।

स्रोत
  • सिरजक : निर्मला राठौड़ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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