जीवण

जियां

हींडो।

हींडावै

सुख अर दुख बिचाळै,

ग्यान अर अग्यान बिचाळै,

पीड़ अर धीर बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

हींडावै

काचै अर पाकै बिचाळै,

अंवळै अर कंवळै बिचाळै,

उळझाड़ अर सुळझाड़ बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

हींडावै

मन अर बुद्धि बिचाळै,

धरम अर करम बिचाळै,

दिन अर रात बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

हींडावै

चेतन अर अचेतन बिचाळै,

मोह अर मुगती बिचाळै,

काम अर राम बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

हींडावै

भूख अर रोटी बिचाळै,

भाव अर भरम बिचाळै,

भगती अर सगती बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

हींडावै

लोक अर परलोक बिचाळै,

आतमा अर परमात्मा बिचाळै,

जलम अर मौत बिचाळै,

जीवण रो हींडो।

स्रोत
  • सिरजक : घनश्यामनाथ कच्छावा ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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