ठंडो पड्यो मानखो
अंधेरै मांय टंटोळ रैयो है
उजास री किरण
कोई गरम चीज
जकी दे सकै थोड़ो निवाच
ठंडै काळजै नै।
हिमळास रा शब्द अकड़ीजग्या
सिकुड़ता सपना
सूत्या है
सोड़ ओढ्यां।
खाडै स्यूं काढ़ो कोई ढूंढ़कर सूरज नैं
जिण री धधक स्यूं फूटै
किणी ज्वालामुखी रो मूंडो
लावै स्यूं
सरणाटै री बरफ रा
उछळसी टुकड़ा।
चटकसी जद कांच रा चेहरा
उतर ज्यासी माळी पन्ना झूठै देवां रा।