हाल, अपां

इण गिलास रै पींदा लग हालां

अर खोज काढां

उण निगोड़ी मूंन रौ

जिकी चापळ्योड़ी छै अदीठ

गिलास में

थारा में

म्हारा में

के पछै पांणी जैड़ा इज दीसता इण संसार में

आज इणरौ निवेड़ौ व्है जांणौ चाहीजै!

स्रोत
  • पोथी : हिरणा! मूंन साध वन चरणा ,
  • सिरजक : चंद्रप्रकास देवल ,
  • प्रकाशक : कवि प्रकासण, बीकानेर
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