बाई अे बाई!

हां बोल, के कैवै हो?

आज्या चीखो खेलां।

ना म्हैं तो कोनी खेलूं तेरै साथै।

क्यामीं बाई, के बात होगी?

मनै के पूछै बात,

तनै के ठा कोनी!

काल म्हैं जद चौथ मांय ही

थूं रोळ करी।

रोळ! कद बाई?

हां सेरू, रोळ!

बींनै रोळ मानै के बाई थूं?

आछी भोळी है,

तेरो अेडो कट होयो

जद थूं आउट होई।

अेडो कट...?

हां, तीज उपरांकर कूदी जद।

रैवण दे, थूं तो सदांई झूठ बोलै सेरिया,

आज के नई बात है।

लीक सूं तो घणी दूर हो मेरो पग,

फेर थूं तो जाण गे लीक बांकी काडी

अर सागै मोटोड़ी आंगळी सूं काडी।

चिटली सूं काडण गी बात होई आपणी

याद कर। पूजकी रैई

कनै खड़ी ही काल

पूछ ले ईं नै।

आ...!

तो बाई तेरी मेर लेसी,

तेरी बेलां है जद।

तो इस्कूल मांय तेरी मेर लेवै!

जिकै दिन तेरो होमवर्क पूरो कोनी हो

अर तूं इस्कूल कोनी गई जद

क्लास मांय हाजरी लेंवती वेळा

प्रताब जी गुरुजी पूछयो—

प्रेमलता क्यों नहीं आई कोई बताएगा?

जद अण झूठ बोल’र तेरी मेर ली,

गुरुजी जी ताप चडगी बींनै तो।

ईंगी बात तो मानूं कोनी म्हैं कतैई।

बो काळियो आवै बाई बींनै पूछ ले,

बो तो काल आपणै सागै खेलै हो।

बींगी तो मान लेसी सेरू तूं?

हां, पक्की...!

सांची बता रे काळू

काल म्हैं आउट ही के?

हां ही तूं आउट,

सेरू के झूठ थोड़ी बोलै।

थनै तो बिस्वास ही कोनी तेरै भाई पर।

ओ... काळिया!

आगै कीं ना बोल ज्याई,

ठीक को रेवैली नीं।

मेरो भाई कदै झूठ कोनीं बोलै।

काल तो दिन छिपै रो बगत हो जद,

अंधेरै मांय सावळ सूइयो कोनी म्हनै,

जद इणनै कैऊं, आउट कोनी ही।

तीज मांय सेरू गो मामो बीज्योड़ो हो,

पूजकी इणनै बात लगा लियो।

म्हैं तीज मांय पग टेक’र चौथ मांय कूदी।

फेर आउट हो’गी म्हैं,

ईं बात मांय ईं गो के दोस?

आज्या सेरू, आपां आपरली चौकी पर

खेलस्यां

पूजकी'र-काळियो झूठा बोलै, दोनूं

भैण-भाई।

आज्या इब!

बां कानी कांई देखै, जाण दे

बांनै।

काळिया!

मुड़गे मेरै सागै बोल ना

जाई,

ठीक कोनी रैवैगी, सेरू कैवै लोग म्हनै!

थूं मेरी भैण नै झूठ बोल'र आउट बतावै।

आउट कोनी ही... कोनी ही... कोनी ही

मेरी भैण,

तनै कांई लेणो-देणो!

काल तो अंधेरो रळग्यो,

नीं तो भी मामो बीजै हा'रे।

कोनी बोलै आज्या इब,

म्हैं भी पूजकी साथै कोनी बोलूं आज

पछै।

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : यतीन्द्र पूनियां ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान
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