मन रै आंगणै
हाथां छूट्यौ कांसी थाळ—
थारौ बिछड़नो।
ऊंडै आभै गूंजती
रचती मून रौ संगीत—
थारी उडीक।
आभो आंगणै—
पाछौ मिजणौ थारौ।
नींतर जमारो
अेक उबासी लांबी-लड़ीड़।