सियारा नी टाड़ व्हे के, चौमासा नी ज़ाक ऊवे

सीमा माथै ऊभा थका, तैयार जवान हैं।

छाती हामी करैं ऐने, लू नं बळतं हुं करैं

काळ बणी फरैं ऐने, हुं करैं सैतान हैं।

छेटी परिवार थकी, मौज-शौक सब छोड़ी

देश नी सेवा में खपैं, कैटला महान हैं।

वार-वार जौडूँ हाथ, नमावूँ नैचु म्हूँ माथ

आपड़े बल्ले तो 'गिरि' आ'स भगवान हैं।

स्रोत
  • सिरजक : विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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