व्योपारी बण आवणवाळां
अंग्रेजां री जद पोल खुली
जद धीरै-धीरै हौस कियां
डाकी-डाकां भू डोल डुळी।
उण समै सहू आकळ-बाकळ
खळबळी हियां माचण लागो
किम करां केय सरणो किण रै
हुयगी आवाजां अति घाघी।
पण रणजीतै सूं हार खाय
रण हारडिंग्ज सिक्का पाई
वर – वीर खालसां बाकड़लां
गम मेट मान खुसियां छाई।
पण डोर समेट्यां परल पार
दुरभाग सामनै दीसै हो
काळो छाया में इणग-बिणग
मरियोड़ो बचियो फीसै हो।
जद डलहौजी री कूटनीत
लोगां नै अखरण नै लागी
सुरसा जिम मूंढो फाड़ खड़ी
मानवता पड़गी पड़ दागी।
हद राजकरण विस्तार घणो
सासन रो चंदोवो छायो
अंग्रेजां फूट करणआळी
नीती सू फंदोदो चायो।
जद फूट पड़ी बांकड़ळां में
भाई नै भाई काटै हो
पिसुणां रा पांव पखारण पण
काळजियो सजणां फाटै हो।
लड़ जळमभोम रा लाडकंवर
आपस में लड़णै री ठांणी
उण समै बाड़ ही खेतां नै
भक्खण नै तरवारां ताणी।
रंग-राग उड्यो भड़ बीरां रो
निय खानदान री सुरत कियां
तणगी मूंछ्यां मरदानां तद
लड़ चावै बदळो तुरंत लियां।
उण आसावां विस्वासां नै
किम कलम काठ री लेख करै
जिण रो इतिहास लिखण खातर
रत रगत मसी सूं काज सरै।
कथ कंचन-काया मोळ केम
कागद मांडण किम समथ हुवै
चप्पै-चप्पै विरतान्त मंड्यो
अमरित - नीझर इतिहास नुवै।
जळ आग लपालप भड़क उठी
वा जोत झळ तो पैली ही
अस्टादस-सत सत्तावन में
आजाद तरंगा फैली ही।
चोखै मौकै नै कद चूकै
मायड़ – हितु फरज निभावणिया
वै हुळस-हुळस हुंकार करै
पाड़ै पिसुणां यस पावणिया।
वै स्वतन्त्रता रा स्रोत खरा
अवगाहण मुगत नाक राखै
बस अेक बार में दिव्य बपु
भड़ इसड़ों सांसो कथ भाखै।
दट झाजादी रै दीवानां
आजाद हुवण रो नेम कियो
मंगलपांडेजी वीर महा
झंड़ो तूफानी हात लियो।
बां बटन दबायो तुरंत बैठ
लपटण पळटण रो लाल हुवो
आत्याचार्यां प्रतिकार जता
बोयो आजादी-बीज नुवो।
फांसी री सजा दइ दुस्टां
मन वै डरता कद मतवाळा
मंज कांटां-कस्टां सुखमानै
वै आजादी रा रखवाळा।
बां जोत जळाई इसी अलख
लख आँखां खून उतर आवै
बां रै उफाण रो अेक झलक
कायरता – भाव परा जावै।
बा श्राग लगी मेरठ में पट
झट बीजापुर में जाय झरी
गोरखपुर में निय रूप लखा
भ्रू ताकत सगळी ज्वाळ भरी।
बा डलहौजी री चाल दीठ
भखणो अजगर हो भीमकाय
पच पसर-पसर कर खसर-पसर
घुम घणी मचाई चायमाय।
भड़ गटक-गटक घण भीमकाय
जद लाव-लाव री रटन लगी
लोभी-पापी रै किसो धरम
जग पूत अगम झट भड़क जगी।
रच आस लपट्टां आसा री
चिणगारी नै विस्तार करी
सोचै विस्वास जगावण सूं
सगती-सगती में अनुप भरी।
जद झांसीवाळी राणी रै
खोळै री बात नकार करी
खबरां पूगी रणवासां खट
क्रोधण सिंघणी हुंकार भरी।
है कुण जिळमियो भूमि पर
बहंत पांणी नै रोक करै
है कुण जिळमियो धरती पर
नाहर थापड़ळ्यां ठोक चरै।
निस्चैमन वीरां रै मन नै
पण फोर सकै कुण वसुधा पर
कुण री मां सूंठ इसी खाधी
नाहर सामै ऊभै नीडर।
जिण री हुंकार सुणतां ही
कितरां रा प्राण प्रयाण करै
सामै देखै कुण उण जम रै
सामी छाती कुण जाय मरै।
धिन सतवन्ती लिछमी बाई
नीं उळटी आग्या अपणाणी
उथळो दीनो रणवासां सू
नीं बात कदै झुखणी जाणी।
वै आँख्यां आग बरसणी बस
तिम तेज अंगारां ज्वाळ जळै
लख भसम करन्ती लंकाळी
झाँसीराणी झळ झाळ झळै।
उण मरदानां नै मात कर्या
धिन पुरस बेस अदभुत धार्या
जद रास गही रण त्यारी की
बांकड़ो हरख हरख वार्या।
भड़ तुरैवाळी तेज भाम
सच माण-मरण मरणो सीख्यो
कैनिंग डाकी जाळ-डाळ
जाळी रस्सो झट पट खींच्यो।
नीच कांटो फैंक्यो फांसण नै
चख-मखां झखां आवत दीठी
पण पारा हो बो खरो परं
माखी समझी जिण नै मीठो।
रे! छातो छेड़ टांटियां रो
कुण सुख री नींद हराम करी
दुरगा नै अबळा नार देख
खळ भूल मोकळी करी खरी।
कुट नाकाबंदी खूब करी
पण मायड़ जोस उफाणै हो
दधि सीवां नै झकझोर तोड़
कुण तूफानी गति जाणै हो?
बा लै’र ले’रका लेण बढै
कुण उण री थाहां तोल करै?
रण ज्वाळ-जाळ ज्वाळामुख री
विरतक होळी कुण बळै मरै?
सीयैदाऊ नै कुण नूंतै
कुण ऊंबै मारग जाण पड़ै
पण आंधो हुय मद राज-पाट
बो ऊंधा-सूंधा खूब घड़ै।
चामुण्डा रूप धर्यो चण्डी
मतबाळी बा रण चण्डी ही
आग्या सुणनै कैनिंग पण री
वा कदै न ज्वाळा ठण्डी ही।
जिण महिसासुर नै पकड़ धर्यो
कर मरदन मही असुर मार्या
सट रगतबीज नै भेज सरग
बरसा कारन्त अमर वार्या।
जिण चण्ड-मुण्ड झट चूर कर्या
ना करी देर इक पळ भर री
विण रा हाथां में सस्त्र वेख
बळिहारी गाऊं उण कर री।
अयि दोय हस्त या अस्टभुजी
अस्टादस चाअे बीसभुजी
माँ कात्यायनि! हद रूप धर्यां
वर निजर पड़न्ता टीस बुझी।
किम अंगरेजां री दुस्ट फौज
रण आय सामनै ऊभ सकै
जिण मनां हबड़का कपटां रा
झुखणा माया असि-झटक भुखै।
वै यग्य मांडियो धुर पवीत
मां लाडलड़ां आ’वान कियो
बळिवेदी झांसी थाप वळै
साकळ लिछमीजी हात लियो।
वै होता हा उण यग्य विचै
पण यजमानी रो रूप धर्यो
आतम तत नै लख बार-बार
स्वाहा-स्वाहा आ’वान कर्यो।
वो अदभुत यग्य वरंकारी
साकळ जिण री जजमान बणी
निय होम वपु कर स्वाहा धुन
धर जोत प्रकासी धणी धणी।
रण में पूगी कर विजं करण
अर रूप प्रचण्ड चण्ड करियो
हातां में असि चमचम करणी
भट सगळां जोस गजब धरियो।
तिम बेहूं हाथां तरवारां
वारां पर वार करण लागो
गड़गड़ाट करतां धम्मगड़ा
हुय तितर-बितर भागा बागी।
जद जोस सौगुणो भर जिव में
वै पीछो कियो हकाळा दे
पण धोखै सूं धिरगी पनगी
विस फूंकारी जीबां बे-बे।
पण हात दोय भल जोर कर्यो
हज्जारां हाथां मात करी
दुरभाग पीटणो आय मर्यो
भूंड़ै नाळै हद घात भरी।
घोटक नूंवो असवारी रो
हो अकड़-जकड़ तणणैवाळो
तण अड़ लगाई ढील छोड़
बळियो मग ऊफणतो बाळो।
बळग्यो अड़ग्यो तणग्यो वैरो
मीचू रो दुस्ट बण्वो साथी
कितरो धोखो उण दियो नीच
लानन इसड़ै साथी घाती।
बा आई बळगी बदवेळा
अस्तंगत हुवो रवी दीस्यो
लख करां पसार्यां लाल-लाल
जळ बीच बतासै जिम फीस्यो।
सौभाग धिर्यो हा! चहुं दिस सूं
राणी लिद्धमी मरदानी रो
या कहूं भाग निय मायड़ रो
रण- विजै बण्यो घट हानी रो।
अन्तस वेळा में धूम माच
खट-खटाक खड़गां वार कर्या
सहसां वीरां नै सुला भोम
मूगा काबां तरवार झर्या।
इतरै में घोड़ो भोम पड़्यो
बा कूद पड़ी रण ज्वाळ बीच
झळ ज्वाळमुखी री झूमझूम
बा गई जोत नं सींच-सींच।
उण रै गिरतां माची कळवळ
सूरज बाहिर जिम आभ सून
दुस्टां पण अत्याचार कर्या
ऊबळतो हुयग्यो ठंडो खून।
पण लाभ-हाण जै-विजै नहीं
वीरां रो दिस्टीकोण बणै
रण फरज ऊतरै जामण रो
तन तानां-बानां नेम तणै।
इण कुदरत रो है खेल इसो
कुण मेट सकै उण अंकां नै
नर फरज अदा करणै पावै
तो धिन-धिन घण रणबंकां नै।
भारत भू पर हद करी
अंगरेजां – घमरोळ
धरम-करम रै दखल सूं
कूदण लागा होळ॥